BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- "मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।

अथवा
मीराबाई किसकी उपासना करती थी और किस रूप में? उनकी इस उपासना से उन्हें समाज में क्या तिरस्कार मिला?
अथवा
"मीरा का जन्म कृष्णमय हो गया" कथन की उचित व्याख्या कीजिये।
अथवा
मीराबाई को तत्कालीन समाज में विद्रोही क्यों माना गया?

उत्तर -

संत मीराबाई, 16वीं शताब्दी की एक महान आध्यात्मिक कवि संत थी। मध्ययुगीन युग में, संत मीराबाई ने भक्ति आन्दोलन में अहम भूमिका निभाई। मीराबाई के समकालीन संतों में संत रविदास संत कबीरदास, संत सूरदास प्रमुख हैं। मीराबाई भगवान के कृष्ण स्वरूप की भक्त थी। मीराबाई भगवान श्री कृष्ण को पति के रूप में मानकर उनकी भक्ति में लीन रहती थी। मीराबाई  ने भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप का वर्णन करते हुये, कई सुन्दर कविताओं की रचना की। ये कवितायें उत्तर - भारत में भजनों के रूप में काफी प्रचलित हैं।

संत मीराबाई की श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति, उनके द्वारा रचित कविताओं के पदों और छंदों में साफ देखने को मिलती है।

संत मीराबाई के बारे में किसी भी साहित्य में कोई सटीक जानकारी नहीं है। कई साहित्यकारों ने मीराबाई के बारे में लिखा है लेकिन भक्तिमाल में कुछ प्रमाणित जानकारी मिलती है।

प्रारम्भिक जीवन - भक्तकाल ब्रजभाषा में एक कविता है। जिसमें 200 कवि संतों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है- गुरु नाभा दास जी ने इस कविता का संकलन किया है। साहित्यकारों के अनुसार, संत मीराबाई का जन्म 1498 ई. में राजस्थान के पाली जिला के एक गाँव कुडकी में हुआ था इनके पिता का नाम राणा रतन सिंह और माता का नाम वीर कुमारी था। राणा रतन सिंह, राव डूडा सिंह के छोटे पुत्र थे। राव डूडा सिंह जी, राव जोधा जी राठौर के वंशज थे। जिन्होंने जोधपुर की स्थापना की थी।

मीराबाई जब तीन वर्ष की थी। एक साधु घूमते हुये उनके घर आये और एक श्रीकृष्ण की मूर्ति मीरा के पिता को भेट की। राणा रतन सिंह ने कृष्ण भगवान की मूर्ति भेंट स्वरूप स्वीकार कर ली। राणा कृष्ण की मूर्ति मीरा को देने में संकोच कर रहे थे। उन्हें लगा कि मीरा को शायद ये भेंट पंसद न आये। लेकिन कृष्ण जी की मूर्ति मीरा के दिल में बस गयी थी और जब तक मूर्ति उन्हें मिल नहीं गयी, मीरा ने खाना नहीं खाया। समय बीतता गया और मीराबाई का कृष्ण के लिये मोह बढ़ता गया। उठते-बैठते, सोते खाते हमेशा श्री कृष्णा की मूर्ति को प्राणों की तरह सदा अपने साथ रखने लगी। मीरा के लिये अब कृष्ण ही उनकी आत्मा थी।

विवाह - एक बार महल के पास से एक बारात गुजर रही थी। मीरा ने उत्सुकतावश अपनी माँ माँ से पूछा, मेरे पति कौन हैं? माँ ने मजाकिया लहजे में मीरा से बोल दिया, अब तेरे पति श्री कृष्णा हैं जिनके साथ आप हमेशा रहती हो। इस बात का मीरा के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और मन ही मन कृष्ण भगवान को अपना पति मान लिया।

कृष्ण भक्ति - मीरा के लिये अब कृष्ण ही मित्र, पति और प्रेम थे। मीरा की माँ उनकी कृष्ण भक्ति का समर्थन करती थी। लेकिन मीरा के भाग्य में अपनी माँ का साथ ज्यादा समय के लिये नहीं था। जब मीरा छोटी थी, तब ही उनकी माँ का देहांत हो गया।

मीरा के पिता ने कम उम्र में ही इनका विवाह राणा भोज राज (जो कि राणा कुम्भा के नाम से भी जाने जाते थे।) से तय कर दिया। राणा भोज राज, मेवाड़ चित्तौड़ के महाराजा, राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र थे। अब मीरा एक शक्तिशाली राज्य की रानी थी। लेकिन इनको राजसी ठाठ-बाठ में कोई खास रुचि नहीं थी। हालांकि मीरा एक आज्ञाकारी पत्नी थी और अपने पति की हर आज्ञा का पालन करती थीं, लेकिन शाम होते ही कृष्ण की भक्ति में लग जाती।

मीराबाई की आध्यात्मिक दिनचर्या और हमेशा भगवान श्री कृष्ण की भक्ति अब मीरा के ससुराल को अखरने लगी। ससुराल वालों का तर्क था कि रानी मीरा, मेवाड़ की महारानी है, उसे राजसी ठाठ-बाठ के साथ संज संवर कर रहना चाहिये और राजवंश कुल की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिये। ससुराल वालों ने उस पर आपत्ति जताना शुरू कर दिया। जल्द ही मीरा की कृष्ण के लिये भक्ति आस-पास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गयी। अक्सर मीरा साधु-संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श किया करती थीं और घंटों कृष्ण के भजन संत्सग में व्यस्त रहती थीं।

राणा कुम्भा का मुगलों से लड़ाई के दौरान देहांत हो गया। अब राणा सांगा मीराबाई से छुटकारा पाना चाहते थे। मीराबाई को समय की प्रथा के अनुसार सती होने के लिये बोला गया। लेकिन मीराबाई ने इसके लिये पूर्णतः मना कर दिया। उनका तर्क था कि उनके पति तो श्री कृष्ण हैं और श्री कृष्ण तो हमेशा उनके साथ रहते हैं, कुछ समय बाद उनके ससुर राणा सांगा का भी मुगलों के साथ एक युद्ध में देहांत हो गया। राणा विक्रमादित्य को चिर्त्ताड़गढ़ का महाराजा बनाया गया। राणां विक्रम ने मीरा बाई को मारने के कई असफल प्रयास किये। जहर का प्याला पीने के लिये विवश किया, परन्तु मीरा ने उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर लिया और उन्हें कुछ भी न हुआ।

ऐसा माना जाता है कि सन् 1533 के आस-पास मीरा को 'राव वीरदेव' ने मेड़ता बुला लिया और मीरा के चित्तौड़ त्याग के अगले साल ही सन् 1534 में गुजरात के बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया। इस युद्ध में चित्तौड़ के शासक मारे गये तथा सैकड़ों महिलाओं ने जौहर किया। इसके पश्चात् सन् 1538 में जोधपुर के शासक राव मालदेव ने मेड़ता पर अधिकार कर लिया, जिसके बाद बीरमदेव ने भागकर अजमेर में शरण ली और मीरबाई ब्रज की तीर्थ यात्रा पर निकल पड़ी। सन् 1539 में मीरबाई वृंदावन में रूप गोस्वामी से मिली। वृंदावन में कुछ साल निवास करने के बाद मीराबाई सन् 1546 के आस-पास द्वारका चली गयीं।

तत्कालीन समाज में मीराबाई को एक विद्रोही माना गया, क्योंकि उनके धार्मिक क्रिया-कलाप किसी राजकुमारी और विधवा के लिये स्थापित परपंरागत नियमों के अनुकूल नहीं थे। वह अपना अधिकांश समय कृष्ण के मंदिर और साधु-संतों व तीर्थ यात्रियों से मिलने तथा भक्ति पदों की रचना करने में व्यतीत करती थीं।

मृत्यु - ऐसा माना जाता है कि बहुत दिनों तक वृदावन में रहने के बाद मीरा द्वारिका चली गयीं जहाँ सन् 1560 ई. में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति में समा गयीं।
भाषा शैली - मीराबाई की भाषा-शैली सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा है जिसमें राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण दिखाई देता है। भाषा में कोमलता, मधुरता और सरसता के गुण विद्यमान है। पदावली कोमल, भावानुकूल व प्रवाहमयी है, पदों में भक्तिरस है तथा अनुप्रास, दृष्टांत, पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक आदि अलंकारों का सहज प्रयोग दिखाई देता है। भक्ति भाव के कारण शांत रस प्रमुख है तथा प्रसाद गुण की भावाभिव्यक्ति हुयी है। सभी पद भक्ति की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है।

ग्रंथ सम्पत्ति - संत मीराबाई ने चार ग्रन्थों की रचना की।

(1) नरसी का मायरा
(2) गीत गोविन्द टीका
(3) राग गोविन्द
(4) राग सोरठ के पद

मीराबाई काव्य की विशेषतायें - मीराबाई के काव्य में उनके तत्कालीन युग की समस्त राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक, एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों एवं मान्यताओं का स्पष्ट दिग्दर्शन होता है। उनके एक-एक पद में उनके युग की भव्य-संस्कृति को जिस रूप में भोगा, उसकी सीधी एवं सरल अभिव्यक्ति अपने काव्यों में की है, जो उनके पदों की प्रमुख विशेषता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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